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The Leader Who Loves the Desert

  अरंडी के पौधों को रेगिस्तान पसंद है। वहाँ उनके लिए कोई चुनौती नहीं होती, दूर-दूर तक ये खतरा नहीं होता कि बड़ी झाड़ियों और विशाल वृक्षों के बीच उन पर किसी की नजर नहीं पड़ेगी - उनके अस्तित्व को एक पहचान मिले इसके लिए रेगिस्तान होना ज़रूरी है ...
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When the Elders Disappear - The Silent Collapse of a Society

  कुछ दशक पहले दक्षिण अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क को, हाथियों की तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या का सामना करना पड़ा। जब समस्याएँ ज्यादा गहराई तो वहाँ अधिकारियों ने हाथियों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए एक योजना बनाई - भोजन पानी की सीमितता को देखते हुए विचार हुआ कि वृद्ध हाथियों को हटाकर युवा हाथियों के लिए अधिक संसाधन उपलब्ध कराए जाएं; सो कुछ बुजुर्ग हाथी मार दिये गए।      लेकिन इसके साथ ही एक चिंताजनक समस्या खड़ी हो गई, बचे हुए युवा हाथियों ने असामान्य और आक्रामक व्यवहार दिखाना शुरू कर दिया - वे अधिक हिंसक हो गए, और नेशनल पार्क में रहने वाले गैंडों और अन्य जानवरों पर हमला करने लगे - उनका ऐसा बर्ताव पहले कभी नहीं देखा गया था।

The Speech That Lincoln Thought Was a Failure

 लिंकन को वह आग्रह बहुत ही साधारण तरीके से भेजा गया था, आयोजकों को ये कतई उम्मीद नहीं थी कि लिंकन उनका न्योता स्वीकार कर लेंगे; पर लिंकन ने उसे स्वीकार कर लिया। अवसर था गेटिसबर्ग में सैनिकों के राष्ट्रीय समाधिस्थल के समर्पण का। वह गृहयुद्ध जो 6,20,000 सैनिकों की बलि लेने वाला था,अपने चरम पर था।       ऐसे समय 1 जुलाई से 3 जुलाई 1863 के बीच गेटिसबर्ग में दोनों पक्षों (यूनियन और कन्फ़ेडरेट्स) के बीच एक बेहद रक्त रंजीत लड़ाई हुई जिसमें दोनों तरफ के कुल 41,112 सैनिक बलिदान हुए। समाधिस्थल इन्ही सैनिकों को समर्पित था। जब नवंबर 19 को लिंकन इस कार्यक्रम में भाग लेने पहुंचे 

Love, Emotion, Taste and the Story of a Samosa

समोसा होने की शर्त भी वही है जो इश्क की है - एक आग का दरिया है और डूब के जाना है ... और वो इस शर्त को शब्दशः पूरा करता है, वो गर्म तेल में डूबता है तो बस इसलिए कि उसे किसी से नहीं ... बल्कि किसी के लिए इश्क हो जाना है, अब बताईये भला उससे प्यार कैसे ना हो। और बात केवल ऊपरी दिखावे की नहीं बल्कि वो भीतर से भी उतना ही खूबसूरत है; अपने भीतर ढेर सारे सपने समेटी हुई मैदे से बनी और तेल में तपी सुनहरी, कुरकुरी परत से जब जीभ की मुलाक़ात होती है तो लगता है डूबते मन के किसी कोने में उम्मीदों का सूरज उतर आया हो और जैसे ही उसे पार करो तो स्वादों का एक तेज बहाव दिमाग के हर तनाव को अपने साथ बहा ले जाता है।

The Diving Bell and the Butterfly: A Story of Unwavering Will

  सात मार्च १९९७ को एक पुस्तक प्रकाशित हुई; पहले ही दिन उसकी पच्चीस हजार प्रतियाँ बिक गई, सप्ताह भर में डेढ़ लाख और उसके बाद ये सिलसिला थमा ही नहीं - मूल पुस्तक फ्रांसीसी में थी, आने वाले समय में उसका अन्य भाषाओं में अनुवाद हुआ और दसियों लाख प्रतियों की बिक्री के साथ वो पूरे यूरोप में बेस्ट सेलर बनी। किताब के अँग्रेजी संस्करण का नाम था - 'द डाइविंग बेल एंड द बटरफ्लाई'। लेखक थे ज्यां डोमिनिक, एक पत्रकार और 'एल' (ELLE) पत्रिका के संपादक। पुस्तक छपने के दो दिन बाद ही न्यूमोनिया से उनकी मृत्यु हो गई - किताब कितनी सफल रही ये वो कभी नहीं जान पाये। लेकिन अपनी जिस सफलता के बारे में वो जानते थे, वो पुस्तक की सफलता से बहुत ज्यादा बड़ी थी।

The Curious Case of the Stolen Dupatta

इन्हीं लोगों ने ले लीन्हा दुपट्टा मेरा ♫♪ ...  गाना सीधा-साधा है, सुनो तो लगता है कि जैसे साहिबज़ान (मीना कुमारी) आरोप लगा रही है कि इन्हीं लोगों ने मेरा दुपट्टा लिया है; शायद बाहर तार पर सूखने के लिए डाला था और इन्हीं में से कोई एक उसे ले गया। लेकिन फिर ध्यान आता है कि वो कह रही है - ले लिया ना कि चुरा लिया; तो क्या ये काम साधिकार किया गया है? क्या उस दुपट्टे के मालिकाना हक को लेकर कोई मसला था? क्या ये एक आरोप ना होकर एक सूचना है? इस अकेली मासूम सी पंक्ति में अब कई परतें नजर आ रही है, और शायद ऐसा ही है भी। किसी कपड़े का दुपट्टा हो जाना, एक दुर्लभ और सम्माननीय यात्रा है, वो सौभाग्य हर किसी को नहीं मिलता और साहिबज़ान उसके कोमल और नाजुक पहलू से हटकर केवल व्यावसायिक पक्ष की बात कर रही है। वो जानती है कि अगर वो ऐसा नहीं करेगी तो मामला जज़्बाती हो जाएगा और फिर तलवारे निकलते देर नहीं लगेगी - वो अभी तलवारों की धार नहीं देखना चाहती, सो एक नए आग्रह के साथ आगे बढ़ती है कि - 

George Harrison's Song: A Metaphor for Life

' मंजिल तक पहुँचने के कई अलग-अलग रास्ते हो सकते हैं, हो सकता है एक रास्ते से मंजिल पाने में बरसों लग जाये और वहीं दूसरे मार्ग से वो कुछ ही दिनों में हासिल हो जाये... ' जब जॉर्ज हैरिसन के गीत 'देहरादून' की ये लाइन सुनो तो समझ आ जाता है कि वो सिर्फ सड़क की बात नहीं कर रहे, बल्कि उसके बहाने ज़िंदगी के बारे में बोल रहे हैं; देहारादून उनके लिए कोई शहर नहीं बल्कि उनकी आध्यात्मिक यात्रा का एक पड़ाव है। जब १९६८ में बीटल्स ने खुद को खोजने और पाने की इच्छा से ऋषिकेश में अपना समय बिताया तो उन्होने कई गीत रचे, कुछ कहते हैं तैंतीस गीत थे तो दूसरे अनुमान अड़तालीस की बात करते हैं, लेकिन जो एक बात खुद 'द बीटल्स' के सदस्यों ने मानी थी तो वो यही कि ऋषिकेश में बिताया उनका समय - उनकी रचनात्मकता का शिखर था; वो प्रकृति की गोद में बैठे, दैवीय वातावरण में सांस लेते हुए एक के बाद एक गीत रचते चले गए.... और उसी समय जॉर्ज हैरिसन ने 'देहरादून' रचा। ये गीत कभी किसी एल्बम का हिस्सा नहीं रहा, संभवतः हैरिसन के सनातन की ओर झुकाव ने इस रत्न को अलग ही रहने दिया।